कलियों के लबों का तबस्सुम खरीदने आया था,
मैं तुम्हारे शहर में अपने कुछ दर्द बेचने आया था.
तुम ने भी सुधार दिया तो फ़िर जियूँगा कैसे मैं,
तुम्हारे पास तो आख़िर मैं बिगड़ने आया था.
वो तो मेरी लाश पर से भी गुज़रने को तैयार था,
मैं बेवजह ही उस क़ातिल को रोकने आया था.
वो जानता है के मैं नहीं सुनता किसी की भी,
फ़िर भी मुझ को वो मज़बूर करने आया था.
तुमने क़ैद कर लिया है मुझे उम्र भर के लिए,
मैं तो बस पल भर के लिए बहकने आया था.
मैंने सुना था के सुकूँ बहुत है उस की बज़्म में,
सो दावत उस के जल्वों की उड़ाने आया था.
सुना था बहुत के उस की आँखें बोला करती हैं,
सो "आकाश" मैं भी उन्हीं को देखने आया था.
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