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Monday, September 23, 2019

तरसती नज़रो ने हर पल आपको ऐसे मागा

तरसती नज़रो ने हर पल आपको ऐसे मागा।
जैसे हर अमावस में चांद मागा।
रूठ गया वो खुदा भी हमसे ।
जब हमने अपनी हर दुआ में आपको मागा।

जो प्यार का रिश्ता हम बनाते है।
उसे लोगो से क्यों छुपाते है।
क्या गुनाह है किसी को प्यार करना।
तो बचपन से हमे प्यार करना क्यों सिखाते है।


यादों की हवा ज़ख्मों की दवा बन गई।
दूरी उनकी मेरी चाहत की सज़ा बन गई।
कैसे भूलूं में उन्हें एक पल के लिए ।
उनकी याद ही मेरी जीने की वजह बन गई।

वख्त बदलता है जिंदगी के साथ।
ज़िन्दगी बदलती है वख्त के साथ।
वख्त नही बदलता अपनो के साथ।
बस अपने ही बदल जाते है वख्त के साथ।